Monday, May 25, 2020

चिर पिपास




हे ! धरा के दीपकों 
अब करो तुम चिर प्रकाश 
कर दो उजाला तेजवान 
बनकर अनल और अग्नि श्वास
यदि आज चिंगारी जली 
कल अग्निसागर भी बहेगा 
रक्त का हर एक कण 
बन के अब ज्वाला दिखेगा 
हे ! धरा के दीपकों 
कह रही यह अंतिम श्वास
अपने अग्नि वचनों से 
कर दो पूरी यह चिर पिपास 
                                 

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