कितने सूरज उगते ढलते
जीवन पथ पर चलते - चलते
है राह बिछी कांटों से
पर पुष्प समझ आगे बढ़ते
रुका नहीं है पांव नहीं हिलती है डगर
सदा चलें हम रुकें नहीं गिर जायें मगर
उठकर फिरसे हिम्मत भरकर हम आगे बढ़ते
जीवन पथ पर चलते - चलते
जीवन पथ पर चलते - चलते
करी नहीं कल्पना कभी सुन्दर सपनों की
साथ चला हर राह पर गैरों अपनों की
कभी ना रखा भाव भेद का अपने मन में
बस अपने अधिकारों की खातिर ही लड़ते
जीवन पथ पर चलते - चलते
जीवन पथ पर चलते - चलते
जग भूला जीवन भूला
पर राह नहीं भूली अपनी
किस्मत भूला ताकत भूला
पर चाह नहीं भूली अपनी
उस चाहत की यादों में हम पल - पल मरते
जीवन पथ पर चलते - चलते
जीवन पथ पर चलते - चलते
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