Friday, June 5, 2020

काट लो तुम शीश मेरा



काट लो काट लो
काट लो मेरा तुम शीश 
क्या करूँ यह है व्यथा 
ना न्याय मिलता है यहाँ 
झुका के शीश बैठे हैं न्यायाधीश 
हाँ रुको ओ लोकतंत्र 
अपराध मेरे तोल लो तुम 
क्या करें कीमतें ईमान की 
कुछ खरीद फरोख्त की आदी हो चुकी हैं
हाँ वही जो कल ठेकेदार थे
ईमान के 
आज फिर उनसे उठी है टीस
देख लो ओ दोस्तों 
हाँ यहाँ कुछ मिलता नहीं 
इज्जत की भी आज है फीस 

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