काट लो काट लो
काट लो मेरा तुम शीश
क्या करूँ यह है व्यथा
ना न्याय मिलता है यहाँ
झुका के शीश बैठे हैं न्यायाधीश
हाँ रुको ओ लोकतंत्र
अपराध मेरे तोल लो तुम
क्या करें कीमतें ईमान की
कुछ खरीद फरोख्त की आदी हो चुकी हैं
हाँ वही जो कल ठेकेदार थे
ईमान के
आज फिर उनसे उठी है टीस
देख लो ओ दोस्तों
हाँ यहाँ कुछ मिलता नहीं
इज्जत की भी आज है फीस
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